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04 February 2019

चाँद बावड़ी का इतिहास - जयपुर,राजस्थान




एक रात में बनी थी राजस्थान की चांद बावड़ी, भूलभुलैया की 3500 सीढ़ीयों के साथ छिपाए हुए है कई रहस्य


राजस्थान का इतिहास रहस्यों से भरा पड़ा है । यहां अनगिनत ऐसे उदाहरण है जो आज भी लोगों के लिए रहस्य ही बने हुए हैं । ऐसे ही रहस्यों के बीच नाम आता है विश्व की सबसे बड़ी और सिर्फ एक रात में ही तैयार की गई राजस्थान की चांद बावड़ी का । राजस्थान में जयपुर से 95 किमी दूरी पर स्थित आभानेरी गाँव में विश्व की सबसे बड़ी बावड़ी (सीढ़ियों वाला गहरा कुँआ) स्थित है, जिसका नाम है “चाँद बावड़ी”। चाँद बावड़ी का निर्माण 9वीं शताब्दी में सम्राट मिहिरभोज परिहार ने करवाया था जिसे राजा चाँद भी कहते थे । ये बावड़ी बहुत सारे रहस्यों से अटी पड़ी है । तो चलिए बताते हैं आपको ऐतिहासिक चांद बावड़ी का रहस्यों के बारे में


3000 साल पूराना है आभानेरी गांव


चांद बावड़ी आभानेरी गांव में स्थित है और बात की जाये तो आभानेरी गांव की तो खुद आभानेरी गांव चांद बावड़ी से भी कई हजारों साल पूराना इतिहास रखता है । दौसा जिले का ह्रदय कहे जाने वाले सिकंदरा कस्बे से उत्तर की ओर कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर आभानेरी गांव है । पुरातत्व विभाग को प्राप्त अवशेषों से ज्ञात जानकारी के अनुसार आभानेरी गाँव 3000 वर्ष से भी अधिक पुराना है ।


किसने बनवाई चांद बावड़ी


ऐतिहासिक चांद बावड़ी का निर्माण 9वीं शताब्दी में क्षत्रिय राजपूत वंश के महान सम्राट मिहिरभोज परिहार (महाराजा चांद) ने करवाया था । इन्हीं के नाम पर इस विशाल बावड़ी का नाम चांद बावड़ी पड़ा । इस बावड़ी को लेकर कई किवदंतियां हैं कि इस बावड़ी का निर्माण भूत प्रेतों ने करवाया था । ये बावड़ी इतनी गहरी है कि इसमें यदि कोई वस्तु गिर भी जाये, तो उसे वापस पाना असम्भव है।


भूल-भुलैया के लिए मशहूर


बावड़ी में 250 एक समान सीढ़ियों की भूल-भुलैया है। कहा जाता है कि कोई सीढ़ियों पर सिक्के रखकर भी वापस आना-जाना चाहे तो चूक तय है। एक फिल्म की शूटिंग के दौरान आए गोविंदा ने भी इसे स्वीकारा। किंवदंती है कि एक बार एक बारात यहां आई और बावड़ी में मौजूद अंधेरी-उजाली गुफा में उतर गई। इसके बाद बाहर नहीं आई। कहते हैं चांदबावड़ी, अलूदा की बावड़ी और भांडारेज की बावड़ी को एक रात में बनाया गया। ये तीनों सुरंग से एक-दूसरे से जुडी हैं


कितनी बड़ी है चांद बावड़ी


दुनिया की सबसे गहरी यह बावडी चारों ओर से लगभग 35 मीटर चौडी है तथा इस बावडी में ऊपर से नीचे तक पक्की सीढियाँ बनी हुई हैं। 13 मंजिला यह बावडी 100 फ़ीट से भी ज्यादा गहरी है, जिसमें भूलभुलैया के रूप में 3500 सीढियाँ हैं । इसके ठीक सामने प्रसिद्ध हर्षद माता का मंदिर है। इसकी तह तक जाने के लिए 13 सोपान तथा लगभग 1300 सीढियाँ बनाई गई हैं, जो कि कला का अप्रतिम उदाहरण पेश करती हैं। स्तम्भयुक्त बरामदों से घिरी हुई यह बावडी चारों ओर से वर्गाकार है। इसकी सबसे निचली मंजिल पर बने दो ताखों पर महिसासुर मर्दिनी एवं गणेश जी की सुंदर मूर्तियाँ भी इसे खास बनाती हैं।


बावड़ी में है गुप्त सुरंग


तीन मंजिला इस बावडी में नृत्य कक्ष व गुप्त सुरंग बनी हुई है जिसकी लंबाई लगभग 17 कि.मी. है, जो पास ही स्थित गांव भांडारेज में निकलती है। बावडी की सुरंग के बारे में भी ऐसा सुनने में आता है कि इसका उपयोग युद्ध या अन्य आपातकालीन परिस्थितियों के समय राजा या सैनिकों द्वारा किया जाता था। लगभग पाँच-छह वर्ष पूर्व हुई बावडी की खुदाई एवं जीर्णोद्धार में भी एक शिलालेख मिला है जिसमें कि राजा चाँद का उल्लेख मिलता है।


नीचे गया व्यक्ति वापस उसी रास्ते उपर नहीं आ सकता


चाँद बावडी एवं हर्षद माता मंदिर दोनों की ही खास बात यह है कि इनके निर्माण में प्रयुक्त पत्थरों पर शानदार नक्काशी की गई है, साथ ही इनकी दीवारों पर हिंदू धर्म के सभी 33 करोड देवी-देवताओं के चित्र भी उकेरे गये हैं। बावडी की सीढियों को आकर्षक एवं कलात्मक तरीके से बनाया गया है और यही इसकी खासियत भी है कि बावडी में नीचे उतरने वाला व्यक्ति वापस उसी सीढी से ऊपर नहीं चढ सकता।


चांद बावड़ी में चार चांद लगाता है हर्षद माता मंदिर


चांद बावड़ी के ठीक सामने हर्षद माता का मंदिर है । इस मंदिर का निर्माण भी राजा चाँद ने ही करवाया था । इसका मण्डप एवं गर्भगृह दोनों ही गुम्बदाकार छतयुक्त हैं। इसकी दीवारों पर देवी-देवताओं व ब्राह्मणों की प्रतिमाएँ बनाई हुई हैं । मंदिर के गर्भग्रह में कहीं भी सीमेंट एवं चूने का प्रयोग नहीं किया गया है, जो कि भारतीय शिल्पकला का उत्कृष्ट उदाहरण प्रदर्शित करता है। कभी मंदिर में छह फ़ुट की नीलम पत्थर से बनी हुई हर्षद माता की मूर्ति हुआ करती थी जो कि सन् 1968 में चोरी हो गई थी


संकट के बारे में पहले ही अवगत करवा देती है माता


स्थानीय निवासियों से बात करने पर ऐसा भी पता चलता है कि माता गाँव पर आने वाले संकट के बारे में पहले ही चेतावनी दे दिया करती थी जिससे स्थानीय निवासी सतर्क हो जाते थे एवं परेशानियों का बखूबी सामना कर लिया करते थे। ऐसा भी सुनने में आता है कि 1021-26 के दौरान मोहम्मद गजनवी ने मंदिर एवं इसके परिसर में तोड-फ़ोड की तथा मूर्तियों को भी क्षतिग्रस्त कर दिया था। वे खण्डित मूर्तियाँ आज भी मंदिर एवं बावडी परिसर में सुरक्षित रखी हुई हैं। बाद में 18वीं सदी में जयपुर महाराजा ने इसका जीर्णोद्धार करवाया था।


हॉलीवुड व बॉलीवुड भी नहीं रहे दूर


आभानेरी अंग्रेजी और हिन्दी फिल्मों में भी छाई हुई है। अंग्रेजी फिल्म ‘द फ़ॉल’ व प्रसिद्ध हिन्दी फिल्म ‘भूल भूलैया’ सहित अन्य कई फिल्मों की शूटिंग यहां हो चुकी है। चांद बावड़ी की सीढ़ियों पर कई कलाकार भी थिरक चुके हैं।


 जय मिहिरभोज

 जय राजपूताना