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12 March 2019

वंश केवल दो है - #सूर्यवंश_ओर_चन्द्रवंश







वंश केवल दो है - #सूर्यवंश_ओर_चन्द्रवंश

आज हम बात करते है अग्निवंश की, आपको यह जानकर हैरानी होगी अग्निवंश नाम से कोई कुल है ही नही । अग्नि वंशी कोई और नही, सूर्यवंश ओर चन्द्रवंश के राजा ही थे । 
सबसे पहले बात सोलंकी उर्फ चालुक्य की कर लेते है,इतिहास में इन्हें अग्निवंशी कहा गया है । जबकि सोलंकियों ( चालुक्यों ) की वंशावली कुछ इस प्रकार है - यह वंशावली पूर्व चालुक्य राजा राजराज प्रथम के ताम्र लेख से प्राप्त होती है, जो ईस्वी 1022 का है ।

इस तामपत्र के अनुसार 
भगवान पुरषोतम की नाभि से कमल हुए
कमल से ब्रह्मा
जिनसे क्रमशः सोम, बुद्ध, व अन्य वसँजो में विचित्रवीर्य, पांडु, अर्जुन, अभिमन्यु, परीक्षित जन्मजेय आदि हुए । इसी वंश के राजाओ ने अयोध्या पर भी राज किया था । विजयादित्य ने पश्चिम में जाकर अपना शासन स्थापित किया था, उसी वंश में राजराज हुआ था । 
कश्मीर के शिलालेखों तथा कश्मीरी पंडित विल्हण द्वारा रचित विक्रमांक चरित्र में चुल्लु या चोल नाम के राजा के बाद इस वंश का नाम चालुक्य पड़ने की बात कही गयी है ।

इससे यह स्पष्ठ होता है, की चालुक्य चंद्रवशी राजपूत ही है। दूसरा अग्निवंशी कुल चौहानो का कहा गया है । चौहानो को पृथ्वीराज रासो के अलावा और कहीं भी अग्निवंशी नही कहा गया । ओर पृथ्वीराज रासो को ऐतिहासिक प्रमाण के रूप में इतिहासकार भी नही मानते । चौहानो के शिलालेखों में चौहानो को सुर्यवंशी कहा गया है। विश्वसनीय पुस्तक पृथ्वीराज विजय, जो कि पृथ्वीराज के समय ही लिखी गयी थी, उसमे भी चौहानो को सुर्यवंशी कहा गया है । 
अग्निवंश में तीसरा नाम प्रतिहारो का है, इनके शिलालेखों में इन्हें लक्ष्मण का वंशज कहा गया है, तो सीधे सीधे यह तो रघुकुल के सुर्यवंशी ही हुए । 
चौथा नाम परमार का है, परमार लोग खुद को चन्द्रवंशी मानते है । परमारो के अंतिम शिलालेख पद्मगुप्त के शिलालेख में इन्हें अग्निवंशी ही कहा गया है, लेकिन इतिहास में कहीं कहीं वर्णन आता है, की यह राष्ट्रकूटों की ही एक शाखा थी। जो कि सूर्यवंश था। आखिर अग्निकुल नाम क्यो पड़ा ? - बोद्ध धर्म के भारत मे प्रभावी हो जाने के बाद विदेशी बर्बर मल्लेछो का आतंक पुष्कर तक पहुंच गया था, इसी कारण क्षत्रियो का एक संघ बनाया गया, ओर अग्नि को साक्षी मानकर उनसे सपथ दिलवाई गयी कि वे मल्लेछो से कठोरता से निपटेंगे । तब 2 चन्द्रवंश ओर दो सुर्यवंश के राजा धरती को पापमुक्त करने के लिए आगे आये । उसके बाद इनका नाम ही अग्निवंशी पड़ गया ।