पडिहार वंश की विशिष्ट जानकारी
गोत्र कश्यप (राव की बही में पुंडरीक)
प्रवर कश्यप,वत्सार,नैध्रुव,गति प्रवर देवगति प्रवर, महागति प्रवर
वेद ऋग्वेद
उपवेद धनुर्वेद
शाखा वाज सनेयी (राव की बही मारधुनिक)
सुत्र पारसकर ग्रहासूत्र
धर्म विष्णु
कुलदेव विष्णु या पुंडरीक
कुलदेवी चामुंडा माता
वरदेवी गाजण माता
माला तुलछी
मंत्र - गायत्री
तीर्थ - पुष्करजी
नदी - सरस्वती
निशान लाल (सूर्य चिन्ह युक्त)
गुरु वसिष्ठ
वृक्ष अक्षय बड़ (वट)
पक्षी गरुड़
कुण्ड सूरजकुंड, विष्णुकुंड, शिवकुंड
नगारा रणजीत
तलवार रलतणी
घोड़ा सावकरण
गाय कपिला
पर्वत सुमेरु
ब्राह्मण जाजड़ा(गुजरगोड़)
चारण सिढ़ाईच
ढोली सिधर
ढोल भंवर
भाट भागदवंशी फंगाला (राव बड़वा)
नाई टोपासिया
बनिया मूंधड़ा
मेघवाल लीलड़
सुथार कुलरिया
खाती करल
वंश जुंझार। हंशपाल
पितर संग्राम
निकास अयोध्या, ब्रह्मस्थल, मंडोर व बारु छायण
वर्जित युद्ध में घोड़ी (मादा) की सवारी, सूअर का शिकार व मास भक्षण, श्राद्ध में दही बिलोना |
टिप्पणी:-पड़िहारो (प्रतिहारो) का दामन हमेशा ही उज्ज्वल रहा है इस कौम ने मुगलों के साथ वैवाहिक संबध नहीं जोड़े।अपने बुरे समय में भी अपनी आन - मान कायम रखा।इन्होंने अपनी तलवार से मलच्छो को काटा है परन्तु शर्मनाक संधिया करके अपनी जाति को मलीन नहीं किया ।
इळा पड़िहारां ऊजळी, सम्मान री सिरमोड़।
बळिहारी पड़िहारां तणी, राखी अटल मरोड़।।
गोत्र कश्यप (राव की बही में पुंडरीक)
प्रवर कश्यप,वत्सार,नैध्रुव,गति प्रवर देवगति प्रवर, महागति प्रवर
वेद ऋग्वेद
उपवेद धनुर्वेद
शाखा वाज सनेयी (राव की बही मारधुनिक)
सुत्र पारसकर ग्रहासूत्र
धर्म विष्णु
कुलदेव विष्णु या पुंडरीक
कुलदेवी चामुंडा माता
वरदेवी गाजण माता
माला तुलछी
मंत्र - गायत्री
तीर्थ - पुष्करजी
नदी - सरस्वती
निशान लाल (सूर्य चिन्ह युक्त)
गुरु वसिष्ठ
वृक्ष अक्षय बड़ (वट)
पक्षी गरुड़
कुण्ड सूरजकुंड, विष्णुकुंड, शिवकुंड
नगारा रणजीत
तलवार रलतणी
घोड़ा सावकरण
गाय कपिला
पर्वत सुमेरु
ब्राह्मण जाजड़ा(गुजरगोड़)
चारण सिढ़ाईच
ढोली सिधर
ढोल भंवर
भाट भागदवंशी फंगाला (राव बड़वा)
नाई टोपासिया
बनिया मूंधड़ा
मेघवाल लीलड़
सुथार कुलरिया
खाती करल
वंश जुंझार। हंशपाल
पितर संग्राम
निकास अयोध्या, ब्रह्मस्थल, मंडोर व बारु छायण
वर्जित युद्ध में घोड़ी (मादा) की सवारी, सूअर का शिकार व मास भक्षण, श्राद्ध में दही बिलोना |
टिप्पणी:-पड़िहारो (प्रतिहारो) का दामन हमेशा ही उज्ज्वल रहा है इस कौम ने मुगलों के साथ वैवाहिक संबध नहीं जोड़े।अपने बुरे समय में भी अपनी आन - मान कायम रखा।इन्होंने अपनी तलवार से मलच्छो को काटा है परन्तु शर्मनाक संधिया करके अपनी जाति को मलीन नहीं किया ।
इळा पड़िहारां ऊजळी, सम्मान री सिरमोड़।
बळिहारी पड़िहारां तणी, राखी अटल मरोड़।।